Jinnathpuram Tirth (Khunadari) Teh. Kherwara Dist. Udaipur (Rajasthan) - 313803
देवाधिदेव श्री भगवान 1008 श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र जिननाथपुरम तीर्थ परिचय (खुणादरी इतिहास)
जम्बू द्वीप, भरत क्षेत्रे, आर्य खण्डे संस्कृति शिरोमणि राजस्थाने, सौन्दर्यता, दर्शनियता का संगम उदयपुर जिले के भोमट क्षेत्रे, खडक खैरवाड़ा के पहाड़ियों में घिरा, पहाड़ियों के दर्रा में बसा होने से खुणादरी नाम से प्रसिद्ध है। खुणादरी का पौराणिक नाम क्रोणाद्री था। वही अति प्राचीन चमत्कारी अतिशय क्षेत्र खुणादरी (क्रोणाद्री) देवाधिदेव श्री 1008 श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर है।
जैन धर्म के प्रवर्त्तक भगवान ऋषभदेव थे। जिन्होंने कई शताब्दियों पूर्व जन्म धारण किया था। इस प्रकार के पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है। जिनके आधार पर सिद्ध होता है कि ईसा से एक शताब्दी पूर्व भी ऐसे लोग थे जो ऋषभदेव की पूजा करते थे, जो प्रधान तीर्थंकर थे। जैन धर्म शाश्वत धर्म है और सृष्टि के आरम्भ से ही विद्यमान रहा है। जैन धर्म काल गणना के अनुसार तीर्थंकर ऋषभदेव के अस्तित्व का संकेत संख्यातीत वर्षों पूर्व मिलता है। पुरातत्त्ववेताओं ने ऋषभदेव का समय ताम्र युग के अन्त और कृषि युग के प्रारम्भ लगभग 6000 छः हजार वर्ष ईसा पूर्व मानते हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार ऋषभदेव का समय लगभग 27000 ईसा पूर्व का है। प्राचीन मूर्तियाँ और उनके अवशेष जैन धर्म की प्राचीनता के जीवंत प्रमाण हैं।
खुणादरी दिगम्बर जैन आदिनाथ अतिशय क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 8 खैरवाड़ा में क्रोस करता एन. एच. 927ए (डुंगरपुर- खैरवाड़ा से सिरोही मार्ग नं. 927ए पर खैरवाड़ा से सोम फलासिया रूट पर खुणादरी ग्राम स्थित है। खैरवाड़ा से 17 किमी. सोम फलासिया रूट पर आने के बाद उत्तर दिशा में एक किसी अन्दर अतिशय क्षेत्र खुणादरी ग्राम स्थित है। समीपस्थ सात किमी बावलवाड़ा ग्राम की दिगम्बर जैन समाज की देख-रेख व व्यवस्था से इस अतिशय क्षेत्र की व्यवस्था होती है।